कविता : अपाहिज ....
एक बॉय फ्रेंड और एक गर्ल
फ्रेंड की शादी की दिन आ रही है
एक हफ्ते बाद ही उन
दोनों की शादी होने जा रही है
बॉय फ्रेंड अपनी गर्ल फ्रेंड को
मोटर साइकिल में घुमाता है
इतने में हाइवे सड़क पर जबर्दस्त
उनका एक्सीडेंट हो जाता है
उस एक्सीडेंट में बॉय फ्रेंड की
दोनों टांग छत्बीछत हो जाती है
मगर गर्ल फ्रेंड की शरीर को
एक भी खरोच तक नहीं आती है
पुलिस बॉय फ्रेंड को हॉस्पिटल
वैन से पहुंचा देते हैं
हॉस्पिटल में डॉक्टर उसकी
दोनों टांग काट लेते हैं
दूसरे दिन बॉय फ्रेंड से
मिलने गर्ल फ्रेंड जाती है
पहले तो उसे ठीक हो जाओगे
जानू बोल समझाती है
बॉय फ्रेंड बोलता, वो तो ठीक
है हम तो फटे पड़े हैं
हे मेरी जानू मेरे तो दोनों
ही टांग कटे पड़े हैं
अब डार्लिंग थोड़ा मेरे
पास बैठ जाइए
मैं अपाहिज हो गया बॉस
तुम्हारा साथ चाहिए
ये सुन गर्ल फ्रेंड
सकते में पड़ गई
उसके पास से उठ
थोड़ा दूर बढ़ गई
फिर बोली, जब तुम्हारी
दोनों टांग कट गई
तुम्हारी जिंदगी से
मैं भी अब हट गई
तुम्हारी जिंदगी
अब पूरी सडी है
अभी मेरी जिंदगी
काफी लंबी पड़ी है
न कोई काज का
न कोई नाम का
बगैर टांग का आदमी
मेरे किस काम का ?
बगैर टांग का आदमी
मेरे किस काम का.......?
netra prasad gautam

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




