हम हर रोज़ कुछ खो रहे हैं, ख़बर है कि नहीं..
जागते जागते भी सो रहे हैं , ख़बर है कि नहीं..।
क्यूं ये ज़ुबाँ पर अब, कड़वाहट सी फैल गई है..
क्या काटा था क्या बो रहे हैं, ख़बर है कि नहीं..।
उनको झुककर चलने की, आदत यूं ही तो नहीं..
ज़माने की हसरतें ढो रहे हैं, ख़बर है कि नहीं..।
हमसे ज़माने का कोई राज़, अब छुपा तो नहीं है..
आंसुओं से ही आंखे धो रहे हैं, ख़बर है कि नहीं..।
हर दफ़ा तुफां पर ही, इल्जाम रखना ठीक नहीं..
नाखुदा ही कश्तियां डुबो रहे हैं, ख़बर है कि नहीं..।
पवन कुमार "क्षितिज"

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




