मन में दबाई बात आँखों से बताये कैसे।
निकलता नही डर ज़माने का समझाये कैसे।।
खुदकुशी करने को कई बार घर से निकली।
ये सोचकर रुक गई मरकर बतायेंगे कैसे।।
सब कुछ छोड़ कर कलम पकड़ लेती हूँ।
बिना लिखे हम उसको याद आयेंगे कैसे।।
कभी-कभी लगता सब ठीक हो जाएगा।
फिर दिमाग घूमता उसे पकड़ पायेंगे कैसे।।
आज नौकरी करते करते हो गई हूँ नौकर।
ख्वाब से बाहर 'उपदेश' को लायेंगे कैसे।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




