कापीराइट गजल
इस प्यार के संसार में ये इतवार नहीं होता
कौन है दुनियां में जिसे प्यार नहीं होता
होती है छुट्टी हफ्ते में दफ्तर से एक दिन
जो दिन है काम का वोह इतवार नहीं होता
बनाते हैं रोज दफ्तर में डेटिंग के जो प्लान
उनका मिलन न होता जो इतवार नहीं होता
ये वेलेन्टाईन डे साल में आता है एक बार
किस दिन होती सैटिंग जो इतवार नहीं होता
पिकनिक और सिनेमा के ये सब हैं दीवाने
मौज मनाते ये कैसे जो इतवार नहीं होता
ये रोज स्कूल में जाना बच्चों को नहीं गंवारा
वो पूछते हैं दिन दूसरा क्यूं इतवार नहीं होता
बिना प्रेम के जीवन सूना सूना है जग सारा
क्या कहूं उसके लिए जिसे प्यार नहीं होता
कह दो आज जमाने से खुला छोड़ दे हमें
यूं आजादी से जीने में, कम प्यार नहीं होता
दिल से कहता है यादव सुन लो मेरे भाई
बिना प्रेम के इतना सुन्दर ये संसार नहीं होता
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है