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कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

ऐसे थे बाबूजी मेरे - आदर-समर्पण गीत - वेदव्यास मिश्र

थे क्षमाशील पर क्रोधी बहुत वो,
आरोह थे तो अवरोह भी थे वो !!
इक विलोम था उनके अन्दर,
कई विषयों के ज्ञाता थे वो !!
थे कठोर पर दिल से प्यारे,
ऐसे थे बाबूजी मेरे !!

आंकड़ा था छत्तीस का मुझसे,
कहाँ ज्ञानी वो ..मैं कलाप्रेमी !!
बचपन से कह दिया था उनको,
मार पड़ा तो पढ़ूँगा ना कभी !!
उपवास ही था ब्रह्मास्त्र उनका,
करते थे जिससे कई ज़िद पूरे !!
ऐसे थे बाबूजी मेरे !!

- वेदव्यास मिश्र
(शेष पंक्तियाँ अगले किसी पार्ट
" ऐसे थे बाबूजी मेरे " में..)


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Pranam Acharya Ji Suprabhaat 🙏🙏, Babu ji ko bhi naman unki vichardhara aur soch ko naman, aadat ke sath unke aaroh avroh evam vilom ko naman avashya hi aaj wo aapki pratibha ko dekhkar jahan bhi hain dhanya honge aur ashirwaad rupi krapa banaye huye honge, halanki Mera uddeshya aapko bhavuk karne ka nahi hai, par yah rachna aur pal khud m bhavukta se bhara hua hai. Aapko aur babuji dono ko saadar naman. Ek achhe din ki shuruaat ho aisi kamna k sath pranaam🙏🙏

वेदव्यास मिश्र said

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र जी, नतमस्तक नमन शुभाशीष सुप्रभात बन्धु !! मानना पड़ेगा आपकी व्यापक सोच व पारखी नज़र को !! बिलकुल अपनेपन के साथ की गई समीक्षा से एक नया ही अनुभव हुआ मुझे ..भावुक नहीं हुआ !! बाबूजी का बहुत ही आदर करता था मैं !! उनके जाने के बाद पहली बार लगा मुझे कि बाप का साया उठने के बाद बहुत कुछ खत्म हो जाता है !! माँ तो 1995 में ही इस संसार से भौतिक रूप से विदा हो चुकी हैं !! फिर दो साल बाद ही बड़े भैया डाॅक्टर साहब !! सबसे ज्यादा टूट गया हूँ ,पिताजी के 2020 में गुजरने के बाद मुझसे पाँच साल छोटा भाई, जो मेरा हर समय गीत-संगीत,काव्य सभी में मार्गदर्शन भी करता था..आधे मिनट के हार्ट अरेस्ट से ही गुजर गया !! बहुत ही मानसिक तनाव से वर्तमान में भी गुजर रहा हूँ..मगर रचनायें लिखकर स्वयं को ही मोटिवेट करता रहता हूँ और डेडिकेट भी !! रचनाओं के माध्यम से ही सही ,रिचार्ज करता रहता हूँ और आप सभी लिखन्तु डाॅट काॅम की टीम,और इतना बड़ा पाठक वर्ग और आपकी प्रतिक्रिया पाकर यह सकारात्मक ऊर्जा पूरी तरह गुणात्मक हो जाती है !! नमन पुन: आपकी इस खूबसूरत भावना को !! सादर सप्रेम सुप्रभात 💖💖

प्रभाकर said

आपकी रचना पढ़ी बहुत सुंदर है और आपके प्रतिक्रिया भी पढ़ी l हमारे मराठी में कहावत है "स्वामी तिन्ही जगाचा आईवीना भिकारी "तीनो लोक का स्वामी माँ के बिना भिकारी होता है जबतक माँ बाप होते है हमसे अमीर कोई नहीं लेकिन यह भी ध्यान रखना है की हम भी किसीके माँ बाप है l आप ऐसेही सुंदर कविता लिखके हमे मोटिवेट करते रहिये प्रणाम गुरूजी l बाबूजी और माता को कोटि कोटि प्रणाम 👏👏

वेदव्यास मिश्र said

प्रभाकर जी, नमन दिल से आभार आपकी सुनहरी समीक्षा के लिए !! निश्चित ही आपकी समीक्षा ने मुझे मालामाल कर दिया है !! नमन आभार पुन: मिलने की उम्मीद में !! 💖💖

रीना कुमारी प्रजापत said

बाबूजी के लिए बहुत खूबसूरत रचना, आपको और बाबूजी को कोटि कोटि प्रणाम 🙏 आपका comment पढ़कर बहुत दुःख हुआ,भगवान किसी को इतने दुःख ना दे क्योंकि अपने से बिछड़कर जीना बहुत मुश्किल होता है और वो भी सभी के सभी के बिना.....

वेदव्यास मिश्र said

रीना कुमारी प्रजापत जी, यही संसार है बहन 🙏🙏 यहाँ बेबसी के सिवा कुछ भी नहीं मगर कुछ झुनझुने भी थमा दिये हैं भगवान ने हर किसी के हाथों में !! आपकी अपनेपन से भरी समीक्षा के लिए बहुत-बहुत नमन आभार एवं स्नेहाशीष मेरी प्यारी बहन 🙏🙏

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