थे क्षमाशील पर क्रोधी बहुत वो,
आरोह थे तो अवरोह भी थे वो !!
इक विलोम था उनके अन्दर,
कई विषयों के ज्ञाता थे वो !!
थे कठोर पर दिल से प्यारे,
ऐसे थे बाबूजी मेरे !!
आंकड़ा था छत्तीस का मुझसे,
कहाँ ज्ञानी वो ..मैं कलाप्रेमी !!
बचपन से कह दिया था उनको,
मार पड़ा तो पढ़ूँगा ना कभी !!
उपवास ही था ब्रह्मास्त्र उनका,
करते थे जिससे कई ज़िद पूरे !!
ऐसे थे बाबूजी मेरे !!
- वेदव्यास मिश्र
(शेष पंक्तियाँ अगले किसी पार्ट
" ऐसे थे बाबूजी मेरे " में..)
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




