किसी ने ग़म तो किसी ने मुझे ख़ुशी दे दी
किसी ने दीप जलाके है रोशनी दे दी।
बुझा न घर के च़रागों को ये सितम होगा
इन्हीं के दम पे सितारों में ज़िंदगी दे दी।
यहाँ तो ताक में अपने हैं गै़र बनने को
जरा सी बात पे नेकी भुला बदी दे दी।
जिसे दिया है ज़माने ने फूल का रस्ता
उसी ने आज है काँटों भरी गली दे दी।
बहुत ही सोच समझ कर अनिल सफ़र करना
यहाँ सलीब पे लोगों ने ख़ामुशी दे दी।
---- पंडित अनिल