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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

हिसाब रख लेते

काश! बचपन की शरारतों का, हिसाब रख लेते..
वो सूखे गुलाब की ख़ुशबू वाली, क़िताब रख लेते..।

जो गर मालूम होता कि, ये बेतकल्लुफ हंसी न रहेगी..
तो आंखों में आया हुआ, ख़ुशी का आब रख लेते..।

आजकल बहुत दफ़ा, बे–वज़ह भी नींद आती नहीं..
इन हालातों का गुमा होता तो, कुछ ख़्वाब रख लेते..।

जो जानते कि, वो आँखें फिरा लेंगे इस तरहा..
हम साकी को कहकर, उम्रभर की शराब रख लेते..।

वो ज़माने–भर में हमारी, नादानियों का जिक्र किया करते हैं..
क्या होता गर हम भी, उनकी बेवफ़ाईयों का हिसाब रख लेते..।

जो मालूम होता, ये रौशन चेहरा छुपा लेंगी जुल्फ़े तेरी..
तो आसमां से गुजारिश कर, हाथों में अपने महताब रख लेते..।


पवन कुमार "क्षितिज"




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर रचना।👌👌

उपदेश कुमार शाक्यावार said

वाह...बहुत खूब पवन जी...सादर प्रणाम

शिवचरण दास said

वाह वाह पवन जी. .. वो सूखे गुलाब वाली किताब रख लेते. ...हम भी लफजे बयां का यह अंदाज रख लेते

फ़िज़ा said

हाथों में अपने महताब रख लेते बहुत खूब!!

श्रेयसी said

बहुत ख़ूब लाज़वाब रचना 👌👌🙏🙏

सुप्रिया साहू said

वाह...क्या बात है सर, बहुत सुन्दर रचना सर 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

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