कापीराइट गीत
काश हमारे सिर पर होता ऐसे हाथ किसी का
हम को भी मिल जाता ये लम्हा एक खुशी का
बेघर हैं घर के राजा फिरते हैं इन गलियों में
मुरझाए हैं फूल सभी कांटे हैं इन कलियों में
काश हमें मिल जाता ऐसे ही साथ किसी का
हम को भी मिल......................
फेरी अपनों ने जब नजरें ये छूटा साथ हमारा
गोद में लेकर धरती मां ने हम को दिया सहारा
काश हमें भी मिल जाता फिर से हाथ किसी का
हम को भी मिल.....................
होती है जग में किस्मत ये सबकी अपनी-अपनी
बीच भंवर में तूफानों ने अब लूटी नैया अपनी
तूफानों से टकराए हैं अब लहरों से बात करें क्या
हम को भी मिल ....................
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना)
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