भूल सकते थे आपको हम भी ,
आपसा हम जो दिल नहीं पाये ।
दिल में ख़ौफ़े ख़ुदा ज़रूरी है ,
हादिसे बोल कर नहीं आते ।
खेल ही खेल में यहां अक्सर ,
लोग दिल से भी खेल जाते हैं ।
दिल में कोई नहीं है दिल शकनी,
दिल से दिल का मुआहिदा ठहरा ।
दर्द महसूस हमको क्या होगा ,
हमतो सीने में दिल नहीं रखते ।
अब सुकूं कैसे मेरा दिल पाये ,
तेरी आदत सी हो गई दिल को ।
यूं ही होती नहीं है ख़ामोशी ,
बोझ लफ़्ज़ों के दिल पे होते हैं ।
फ़ासला आपसे नहीं भाता ,
फ़र्क़ दिल पर हमारे पढ़ता है।
ज़िंदगी जीने की कोशिश कीजिए दिल से ,
हर दिन नया, नयी उम्मीद लेके आता है ।
एहसास को अपने अल्फ़ाज़ देना,
ख़ामोशियां दिल में चुभती बहुत हैं ।
अपनी मर्ज़ी का हर सवाल किया ,
तुमने दिल का कहां ख़्याल किया ।
----डाॅ फौज़िया नसीम शाद