उसे क्या पता हैलो हाय भी रंग लाती।
दूरी तो रहती मगर मन मे तरंग आती।।
पहाड़ जैसे लगे दिन रात आकाश सी।
पुरानी कहानी सोच कर उमंग आती।।
जिन्दगी की उलझने लगती ही नही।
उन्हें मोहब्बत की खूँटी में टांग आती।।
आज भी 'उपदेश' समझता ही नही।
उसकी फितरत से बेहद तंग आती।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद