शिकवा अब क्या करे जब किस्मत में कुछ न था
हम डूबकर भी आये तो समंदर में कुछ न था.
मदहोश कर गई तेरी तस्वीर की जलक
मीलकर तुजे देखा तो चहेरे पे नूर न था
मेरे लहू की आग मुजे मजबूर करती रही
बदन जहर से भरा था पर रातो में कुछ न था
युतो जब देखा तो सब सोलहआना लगे मुजे
आजमाया दोस्तों को तो हकीकत में कुछ न था
सब रंग मेरे शाम की आगोश में ढल गये
रातो के अंधेरो में फिर मंजर में कुछ न था
के बी सोपारीवाला