इससे अधिक पता कुछ भी नहीं ।
आप में आपका कुछ भी नहीं ।।
कह भी सकता था अलविदा हमसे ।
उसने हमसे कहा कुछ भी नहीं ।
खुद को देखा है ढूंढ़ कर हमने ।
हमको खुद में मिला कुछ भी नहीं ।
कितने टूटे हैं, कितने बाक़ी हैं ।
ज़िंदगी से कहा कुछ भी नहीं ।
इससे अधिक पता कुछ भी नहीं ।
आप में आपका कुछ भी नहीं ।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद