खुदा से कहाँ हम इस दुनिया का इलम मांगते हैं
ना दौलत ना शोहरत या कोई रहम मांगते हैं
बस यही गुजारिश हमारी हरपल उससे रहती हैं
अदब का फन दास सच की कलम मांगते हैं! !
New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|
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बस यही गुजारिश हमारी हरपल उससे रहती हैं
अदब का फन दास सच की कलम मांगते हैं! !