एक सहारा चाहिए था तुझे भी और मुझे भी।
दीवानी जिन्दगी हो गई तेरी भी और मेरी भी।।
कम से कम एक दूसरे की निगाह में हम भले।
सुख शान्ति मिलने लगी तुझे भी और मुझे भी।।
हर बात अच्छी लगती मेरी तुझे और तेरी मुझे।
आपसी सामंजस्य पसंद तुझे भी और मुझे भी।।
जिन्दगी के 'उपदेश' सुनने के लिए जाना कहाँ।
हर गजल ही सीख देती तुझे भी और मुझे भी।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद