हमने मुकम्मल होने को, कई चेहरे बदले..
चाल जो न समझ सके, तो फिर मोहरे बदले..।
हमने तो हर ख़्वाहिश को, दरकिनार कर दिया..
वो हमे देखकर , अब यूं ना नजरें बदले..।
निगाहों पर कब तक, नज़र रखता ये ज़माना..
तब दिलों पर उसने दिन रात के पहरे बदले..।
कब तक वो चेहरे पर, दिखावे के मुखौटे रखते..
खुल गया राज़ दिल का, तो कई पैंतरे बदले..।
तूफ़ाँ के दिल में थी, कुछ रंजिशें पोशीदा सी..
देखकर अंदाज़, फिर कश्तियों ने किनारे बदले..।
पवन कुमार "क्षितिज"

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




