आता जब मौसम सुहानी सर्दियों का।
झूमने लगता है मौसम सर्दियों का।
हर घड़ी ये जिद्द करता तुमसे मिलने की,
मचलने लगता है मौसम सर्दियों का।
लिपटतीं जब तुम्हारी गरमा-गरम यादें,
बहकने लगता है मौसम सर्दियों का।
जब महावट बन तुम्हारे ख्वाब घिर आते,
बरसने लगता है मौसम सर्दियों का।
कंपकंपाती उंगलियां से जब तुम्हें छूता,
बहकने लगता है मौसम सर्दियों का।
तुम्हारे आने की जब भी खबर मिलती है,
संवरने लगता है मौसम सर्दियों का।
आहटें आतीं तुम्हारी तुम नहीं आते,
सिसकने लगता है मौसम सर्दियों का।
गीत जो तुम पर लिखे है उन्हें सुनते ही,
थिरकने लगता है मौसम सर्दियों का।
गीतकार - अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट ग्वालियर
सर्वाधिकर सुरक्षित लेखक

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




