दुःख के सागर में नाव जैसे बने जिंदगी
कभी नहीं सोचा ऐसा भी होगा एक साल
सुख के कलश में पीयूष जैसे बने जिंदगी
कभी तो सोचा ऐसा होगा अब मेरा हाल
खत्म होने के बाद भी आरंभ जैसे बने जिंदगी
कभी नहीं सोचा ऐसा भी होगा मेरा काल
बिखर जाने के बाद निखर जैसे बने जिंदगी
कभी तो सोचा ऐसा भी होगा मेरा चाल
सूख जाने के बाद भी गुलजार जैसे बने जिंदगी
कभी नहीं सोचा ऐसा भी होगा हे! लाल ॥