दर्द मेरा जो सजा सा हो गया
कर्ज मेरा तो अदा सा हो गया।।
लोग अब मिलने से बचने लगे
मर्ज मेरा तो दवा सा हो गया।।
कौन मेरी बात का करता यकीं
वक्त मेरा तो ठगा सा हो गया।।
अब वफा की बात ही बेकार है
फर्ज मेरा तो खता सा हो गया।।
"दास"मुंह फेर कर हंसते हैं लोग
जिंदा रहकर तो मरा सा हो गया।।