कभी हमसे भी मिलों ऐसे यूँ गले लगकर।
हम इतने भी बुरे नही है यारों समझने पर।।1।।
दुनियाँ के कहने पर मत जाना मेरे दोस्तों।
सबको मज़ा आता है मुझे इल्ज़ाम देने पर।।2।।
लोगो को ना पता है यूँ ही जलते है मुझसे।
अच्छा इंसा न मिलता है जहां में ढूंढने पर।।3।।
हाँ वह बात दूसरी हैं मैं झुकता नही कभी।
झूठ पर ना बनेगी मुझसे किसी मसले पर।।4।।
दिल को समझाया बहुत समझ ले दुनिया।
पर ये तैयार ही नही होता कहीं झुकने पर।।5।।
सबको ही मैं देखता हूं शक भरी नज़र से।
धोखे खाये है मैने बहुत ही हर अक़ीदे पर।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ