शह मात का खेल,
चलता ही रहेगा।
हर बाज़ी,
तू हारता ही रहेगा।
षड्यंत्र जो तूने रचे,
अंकी इंकी डंकी लाल।
हाय तुझको लगेगी,
चैन कहां पाएगा।
आगे कुआं पीछे खाई,
अब तेरी शामत आई।
निगल जाएगी,
भ्रष्टाचार की ताई।
काकी ताई के ,
हस्ताक्षर पहचान ले।
गुजरे की सारी जिंदगी,
तेरी जेल में, जान ले।