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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कभी चाहत नहीं मिलती

हजारों गम हैं दुनियां में कभी राहत नहीं मिलती
खुशी मिलती है सबको कभी चाहत नहीं मिलती

कहाँ तक हम भला रोयेंगे रोना इस मोहब्बत का
कुछ लम्हे की खुशबू कभी विरासत नहीं मिलती

बहुत शातिर जमाना है तुम्हें तो अंदाज तक नहीं
तुम्हारा पीछा करता है कभी आहट नहीं मिलती

ये गुल चमन तितली रंग दरखत हवा सब नकली
परिंदो की इस वास्ते कभी चहचाहट नहीं मिलती

तुम्हारे दर पे आया है लिए ख्वाहिश हजारों दास
ये दिल है बहुत लाचार कभी ताकत नहीं मिलती




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Waah kya kahne hain sir ji...uttam

Shiv Charan Dass replied

बहुत बहुत शुक्रिया आपका

सुभाष कुमार यादव said

बहुत खूबसूरत ग़ज़ल।👌👌

Shiv Charan Dass replied

धन्यवाद

Lekhram Yadav said

बहुत ही लाजवाब रचना, आपको सादर नमस्कार

Shiv Charan Dass replied

सादर आभार

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

गुल चमन तितली रंग दरख्त हवा सब नकली।वाह,अति सुंदर रचना, शिवचरन जी,मजा आ गया।

Shiv Charan Dass replied

बहुत बहुत आभार

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