हजारों गम हैं दुनियां में कभी राहत नहीं मिलती
खुशी मिलती है सबको कभी चाहत नहीं मिलती
कहाँ तक हम भला रोयेंगे रोना इस मोहब्बत का
कुछ लम्हे की खुशबू कभी विरासत नहीं मिलती
बहुत शातिर जमाना है तुम्हें तो अंदाज तक नहीं
तुम्हारा पीछा करता है कभी आहट नहीं मिलती
ये गुल चमन तितली रंग दरखत हवा सब नकली
परिंदो की इस वास्ते कभी चहचाहट नहीं मिलती
तुम्हारे दर पे आया है लिए ख्वाहिश हजारों दास
ये दिल है बहुत लाचार कभी ताकत नहीं मिलती

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




