आजकल हर गली में डॉक्टर बैठा,
दादी बोले – "हल्दी वाला दूध पी बेटा!"
मम्मी कहें – "तुलसी-शहद सब सही कर देगा,"
पापा बोले – "नींबू नमक, बस पेट ठीक रहेगा!"
Google पर लिखो – सिर दर्द या छींक,
पांच मिनट में बोले – "Cancer का है लिंक!"
"दवा मत खाओ, योगा करो, सब खुद सुधरेगा,"
और इलाज के नाम पर – WhatsApp forward चलेगा!
पर जब असली डॉक्टर बोले – "दवा लो पाँच दिन,"
तो कहते हैं – "क्या लूट मचा रखी है!"
घर के डॉक्टर कहते हैं – "MRI मत कराओ, डर फैलाते हैं,"
फिर भी YouTube वाले बाबा की सब बातें अपनाते हैं!
और अगर गलती से डॉक्टर कुछ चूक जाए,
तो भीड़ बनकर अस्पताल को ही फूंक आए!
गालियाँ, मारपीट, कांच तोड़, सब जायज़ हो जाता है,
मानो डॉक्टर इंसान नहीं, कोई मशीन हो जाता है।
पर सुनो...
यही हैं जो रातों की नींदें कुर्बान करते हैं,
अपने आँसुओं को मुस्कान में छुपाकर दर्द सहते हैं।
सांसों की डोर से लड़ते हैं हर पल,
अपने टूटे हौसलों से बनाते हैं जीवन का पल!
अगर जान बची है, तो उनकी मेहनत की वजह से,
अगर उम्मीद बाकी है, तो उनकी रहमत की वजह से।
अगर गलती हो भी जाए, तो इंसाफ माँगो, हिंसा नहीं,
पत्थर नहीं, प्यार दो – यही असली इंसानियत सही।
तो सर झुकाकर कहो दिल से ये बात,
"सलाम है उन्हें, जो करते हैं ज़िंदगी से सौगात।
हम तो देते हैं बस राय घर बैठे-बैठे,
वो लड़ते हैं मौत से – हर रोज़, हर मोड़ पे!"