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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

एक छोटी सी चाहत

एक छोटी सी चाहत
चाहत नहीं हमें
कि कोई रोज़ अपना कुछ वक्त हमें भी दे
चाहत यह भी नहीं हमें
कि कोई हमसे रोज़ फ़ोन पर कुछ घंटे बात करे
नहीं ऐसी भी चाहत
कि सब हमारा जन्मदिन याद रखें
बेशक किसी से महीने,साल तलक मिलना भी न हो पाए
फिर भी जब मिलना हो उनसे
तो मिलकर कोई नयापन न लगे
वही पुराना अपनापन हो
जैसे यादों में रोज़ मिला करते थे
जैसे कभी ख्यालों से बाहर निकले ही नहीं
ऐसी होती है ख़ूबसूरती रिश्तों की
चाहे फिर दोस्ती की हो या हो अपनों की
जाने कहाँ खो गया यह अपनापन ?
कौनसा सुख मिल रहा है सबको अपनों से दूर होकर ?
क्या ?आख़िरी सांस तक लेकर जाएँगे यह स्वार्थी मन
बेशक भावनाओं के साथ जीना आसान नहीं पर भावनाओं के बिना भी जीवन खुशहाल नहीं ..
वन्दना सूद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

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Lekhram Yadav said

बहुत खूबसूरत आशाओं और सुन्दर संदेश से भरी आकर्षक रचना, आपको सादर नमस्कार

वन्दना सूद replied

शुक्रिया sir 🙏🙏😊

Updesh Kumar Shakyawar said

जाने कहाँ खो गया यह अपनापन ?...very true 👍

वन्दना सूद replied

🙏🙏😊

श्रेयसी said

काश ऐसा सोचने वाले दो चार भी हो जाएँ तो जीवन आसान हो जाए। बहुत सुंदर सोच। बहुत अच्छी रचना 🙏🙏

वन्दना सूद replied

बिल्कुल सही कहा आपने 🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Original(Favourite) Topic(Nature) se hatkar bhi aap har ek topic par bahut achha likhati hain mam... Khaskar bhavnaon ko sandeshatmakta pradaan karna or rachna me dhalna... Bahut achhe se karti hain... Or aapka yeh andaaz bhi unique hai... Saadar Pranam 🙏🙏

वन्दना सूद replied

बहुत बहुत शुक्रिया अशोक जी 🙏🙏इतना हौसला अफज़ाई के लिए पर इसका श्रेय भी आपको ही जाता है क्योंकि likhantu officials पर इतना अच्छा और उम्दा लिखने वालों को पढ़ कर जो प्रेरणा मिलती है वही हमारे काम को निखारती है इसलिए आपके साथ साथ उन सभी का भी धन्यवाद 🙏🙏😊

सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर रचना।👌👌

वन्दना सूद replied

🙏🙏😊

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