जिसे चाहा उसे पा न सका,
गीत व्यथा के गा न सका।
उसकी चाहत थी बे इंतहा,
बिना खोये भी पा न सका।
उससे रिश्ता है, कुछ ऐसा,
किसी को पास ला न सका।
यादों की जंजीरों के कैद में,
उससे दूर… भी जा न सका।
चार कदम चले दोनों साथ,
लौट के कभी आ न सका।
🖊️सुभाष कुमार यादव