चुपचाप बुत बनकर बैठा ,आकाश को तकता रहता है
देख! देश तेरा पुकार रहा, अब तो अपने कदम उठा।
भ्रष्टाचारी राज कर रहे, देश का आँगन कंपित है
स्वतन्त्र है अपना देश किंतु , हर कोना आतंकित है।
प्रहरी कम होते जा रहे, अब तू हाथों में औजार उठा
देख! देश तेरा पुकार रहा, अब तो अपने कदम उठा ।
अज्ञानी यहाँ कोई नहीं,सब भली-भाँति परिचित हैं
कुछ समय को दोष हैं देते, अन्य स्वार्थ में अपने लिप्त हैं।
चल तू ही पहले आँखें खोल, तू ही पहला दीप जला
देख!देश तेरा पुकार रहा, अब तो अपने कदम उठा।
प्रतिनिधि इस देश का चुनना ,ये तेरा अधिकार है
कमान उसी के हाथों में दे, विकास जिसे स्वीकार है।
मूक-बधिर न होकर बैठ, शहीदों का न मान घटा
देख!देश तेरा पुकार रहा,अब तो अपने कदम उठा।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




