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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

वक्त की कमी में

वक्त की इस कमी में
ना कोई अपना रहा ना कोई पराया रहा,
अपनों के पास वक्त नहीं हमारे लिए और पराये अहमियत देते नहीं.........

वक्त की इस कमी में
कोशिशें हर रोज़ कर रहे हैं कई,
कहीं तो हमें हमारा मक़ाम मिल जाये
यही सोच लिए चल रहे हैं सभी.......

वक्त की इस कमी में
हम उन्हें भूले नहीं हर पल याद रहते हैं वो हमे,
और वो कहते हैं कि
हमे याद करने के लिए उनके पास वक्त ही नहीं....

वक्त की इस कमी में
होड़ लगी है अपनों की अपनों से,
कोई थोड़ा आगे बढ़ने की कोशिश करता है ज़िंदगी में
तो पीछे खींचने की तैयारियां होने लगती है........

"रीना कुमारी प्रजापत"








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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

राजू वर्मा said

बहुत अच्छी रचना

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत धन्यवाद आपका

कमलकांत घिरी said

वाह क्या खूब कहा आपने सच में इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में किसी के पास इतना भी वक्त नहीं रह गया है कि वो अपनों के पास दो पल सुकून के बीता सके सभी सफलता को चाह में भागे जा रहे हैं.. बहुत ही अच्छा लिखा आपने।

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया भाई

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Sach Kaha Reena Mam Wastav Me Apnon ki Apno Se Hod Lagi Huyi Hai, Vaastvikta ko Rachna ka Rup Dediya aapne. bahut khoob...Adhbhut

रीना कुमारी प्रजापत replied

आभार आपका 🙏🙏

फ़िज़ा said

बहुत अच्छी रचना

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanks Fiza ji

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