वक्त की इस कमी में
ना कोई अपना रहा ना कोई पराया रहा,
अपनों के पास वक्त नहीं हमारे लिए और पराये अहमियत देते नहीं.........
वक्त की इस कमी में
कोशिशें हर रोज़ कर रहे हैं कई,
कहीं तो हमें हमारा मक़ाम मिल जाये
यही सोच लिए चल रहे हैं सभी.......
वक्त की इस कमी में
हम उन्हें भूले नहीं हर पल याद रहते हैं वो हमे,
और वो कहते हैं कि
हमे याद करने के लिए उनके पास वक्त ही नहीं....
वक्त की इस कमी में
होड़ लगी है अपनों की अपनों से,
कोई थोड़ा आगे बढ़ने की कोशिश करता है ज़िंदगी में
तो पीछे खींचने की तैयारियां होने लगती है........
"रीना कुमारी प्रजापत"
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




