जटा में गंगा
गले पतंगा
नाचे मस्त मलंग।
दुःख हर दे
सुख भर दे
जीवन तरंग
दिल में उमंग
जीवन में प्राण
भर दे।
है प्रभु
परमपिता
आप बिन
ना कोई जीता
दाना पानी सब
तुमसे हीं मिलता।
जीवन के तुम
भरक पोषक
प्राण वायु
संचालनकर्ता।
दुःख हरता
सुख करता
तुम हो मस्त मलंग ।
भांग धतूरा
हर काज पूरा।
कुछ भी ना रहता
कभी अधूरा।
हर मार्ग
प्रशस्त करता।
हे आदिनाथ
तुम हीं हो
सब करता
जगपालक
संघlरकlरक
त्रिभुवन
नटराजन
जग महाजन
सब कार्य प्रयोजन
करता।
जय जय जय विघ्नहर्ता।
जय जय जय शिव भरता।
जय जय जय शिव दुःख हरता।
जिंदा तुमसे हीं मानवता
जय जय शंभू
संवाहनकर्ता।
भरण पोषण करता
जय जय जय विघ्नहर्ता...
जय जय जय विघ्नहर्ता...