कितना अजीब है हमारा रिश्ता ll
न दुर जा रहा हूं तुमसे न तुम पास आ रही हो मेरा ll
अपनी ही यादों में रोज रूला रही हो हमको ll
कितना गहरा इश्क है हमारा ll
ये जानते हुए भी बहुत सता रही हो मुझे ll
धीरे धीरे अपनी ही यादों में मार रही ही मुझे ll
कभी हक जता कर मेरे करीब आती थी ll
आज पूरा हक होने के बाद भी तनहा छोड़ दी मुझे ll
जो कभी मुझे अपना बताती थी आज वो रूला रही है ll
कब अपनी इश्क को अपना बताओगी ll
कब मुझे अपना हमराही बनाओगी ll
कब अपना इश्क मुझे पर वापस जटाओगी ll
कब मेरी दुल्हन बन मेरा घर आओगी ll
तुम्हारा इश्क हूं मैं सबको कब बताओगी ll
इश्क हूं कब तक इंतजार करु तुम्हारा ll
जो की हो वादा साथ निभाना का वह पूरा करके दिखाओगी ll
मेरी जिंदगी की राहों में कब साथ निभानी आओगी ll
मेरी हमसफर बनकर मेरी आखिरी सांस तक साथ निभाओगे ll
मेरी इश्क रिंकी
शिवम् जी सहाय