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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

जानवर आदमी हो गए हैं.....

विकास के नाम पर पैसों का बंदरबांट हो रहा है।
सड़कों और पुलों का सत्यानास हो रहा है।
महंगाई चरम सीमा पर जमाखोरी ना कंट्रोल हो रहा है।
किसान किसान हीं बन के रहा पर
बिचौलिया व्यापारी माला माल हो रहा है।
वो कहते हैं कि क्या ज़रूरी है महंगा खाना पर वो ये भूल जातें है कि सस्ता सिर्फ प्रदूषण है।
दूषित जल दूषित हर संसाधन है।
इसके अलावा कुछ भी सस्ता नहीं है।
अरे कोई रोज़ बिरियानी थोड़े न खाता है।
यहां तो आटा दाल के लाले पड़े हुए हैं।
रसोई में लोगों के ताले पड़े हुए हैं।
गैस महंगा
कैश महंगा
आलू प्याज रुला रहें हैं।
कद्दू करेला कटहल टमाटर
भाव पे अपने इठला रहें हैं।
आटा दाल करें हैं कमाल
लोगों को कीमत पर अपनी
भर भर कठवत रुला रहें हैं।
महंगाई के ईस दौर में
ब मुश्किल लोग एक हीं
टाईम खा रहें हैं।
अमीरों को तो कुछ नहीं
गरीबों के आफ़त आ रहें हैं।
कुछ लोग अन्न तो छोड़िए साहब
पानी पी पी गुज़ारा कर रहें हैं।
भरी बस्ती में अब कुत्तों की जगह
आदमी कूड़ेदानों को खंगाल रहें हैं।
अब तो जानवर आदमी
और आदमी जानवर हो गए हैं..
जानवर आदमी हो गए हैं ...
और जानवर आदमी हो गए हैं...




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

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रीना कुमारी प्रजापत said

ATI uttam

वन्दना सूद said

ऐसी हक़ीक़त है जो ignore नहीं की जा सकती है बहुत सही लिखा 🙏🙏great message too

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