आज क्यों भाव विभोर हो गया।
तैरते विचारो में दिल खो गया।।
खुशबू विचारो की मन मोह ली।
अल्हड धारा बनी प्रेम हो गया।।
घमण्ड की बूँ तक नही उसमें।
भाग्य बदला क्या से क्या हो गया।।
शीशा वही रहा 'उपदेश'।
तस्वीर बदली मन प्रसन्न हो गया।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद