शोरगुल का जंजाल
शिवानी जैन एडवोकेटbyss
सुबह से शाम तक, कानों में शोर है भारी,
वाहनों का कर्कश हॉर्न, और मशीनरी की बारी।
बस्ते स्कूल के बच्चे, सड़कों पर हैं बेहाल,
शोर प्रदूषण से होता, सबका बुरा हाल।
फैक्ट्रियों की गूँज, निर्माण का कोलाहल,
मन को बेचैन करे, ना मिले एक भी पल।
नींद हमारी उड़ गई, सिर में दर्द रहता है,
ज़्यादा शोर से दिल भी, बीमारियों का घर बनता है।
पशु-पक्षी भी बेचैन, उनके आवास हुए कम,
शोर की इस कैद में, घुटते हैं हम सब।