मेरी एक साल की मेहनत को
कोरे पन्ने पर लिख दिया ,
परिणाम तो आता रहता है,
जिंदा वही है जो आया सह लियां
आज दिन तो साफ था
पर थोड़ी घबराहट हुई
जब घड़ी में 12:15 पर आई सुई
सुबह-से कुछ खाया नहीं ,
न ही कुछ पिया था,
अंदर अंदर घबराहट हुई
और खराब हो रहा जीया था,
लेकिन जब घड़ी की सुई 1:15 पर हुई
मेरे सामने परिणाम मेरा फट गई आंखें जूही
चलो छोड़ो भी अब जाने दो
नया प्रभात नया सवेरा आने दो
12 महीने बंद कमरे में करता बेठ पढ़ाई,
तब जाकर मैं कूद पड़ा रण में ,
और हारी होड़ लगाई है
कुछ तो ऐसे भी हैं कि परिणाम देख लो पढ़ते हैं
उन्हें तो पता भी नहीं की पेड़ की जड़ नहीं पत्ते झड़ते हैं।
जड़ हरि होगी तो नये पत्ते भी आ जाएंगे
मायूस मत होना
इस संसार में बस हार महज एक दोर है,
मोटा-मोटी बात यह है कि चार देने का शोर है,
मैंने देखे हैं ऐसे लोग जो परिणाम कम आने से
जीवन लीला समाप्त कर लेते हैं,
अपने परिवार का मन आहत कर देते हैं,
विपदाएं भी आएगी असफलता सर दुखआएगी
हमें रुकना नहीं बस चलना है
जीवन भर मचलना है
हां जीवन पथ पर चलना,
अशोक सुथार

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




