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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

जीवन पथ पर चलना - अशोक सुथार

मेरी एक साल की मेहनत को
कोरे पन्ने पर लिख दिया ,
परिणाम तो आता रहता है,
जिंदा वही है जो आया सह लियां

आज दिन तो साफ था
पर थोड़ी घबराहट हुई
जब घड़ी में 12:15 पर आई सुई

सुबह-से कुछ खाया नहीं ,
न ही कुछ पिया था,
अंदर अंदर घबराहट हुई
और खराब हो रहा जीया था,

लेकिन जब घड़ी की सुई 1:15 पर हुई
मेरे सामने परिणाम मेरा फट गई आंखें जूही

चलो छोड़ो भी अब जाने दो
नया प्रभात नया सवेरा आने दो

12 महीने बंद कमरे में करता बेठ पढ़ाई,
तब जाकर मैं कूद पड़ा रण में ,
और हारी होड़ लगाई है

कुछ तो ऐसे भी हैं कि परिणाम देख लो पढ़ते हैं
उन्हें तो पता भी नहीं की पेड़ की जड़ नहीं पत्ते झड़ते हैं।

जड़ हरि होगी तो नये पत्ते भी आ जाएंगे
मायूस मत होना
इस संसार में बस हार महज एक दोर है,
मोटा-मोटी बात यह है कि चार देने का शोर है,

मैंने देखे हैं ऐसे लोग जो परिणाम कम आने से
जीवन लीला समाप्त कर लेते हैं,
अपने परिवार का मन आहत कर देते हैं,

विपदाएं भी आएगी असफलता सर दुखआएगी
हमें रुकना नहीं बस चलना है
जीवन भर मचलना है
हां जीवन पथ पर चलना,

अशोक सुथार




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut khoob Baat kahi shriman ji

श्रीकांत द्विवेदी said

ATI Uttam

श्रीकांत द्विवेदी said

Likhantu to team mujhe bhi apni rachnaen likhni hai per samajh nahin a Raha kahan se aur kaise likhun mujhe bhi members mein jodne ki kripa Karen

Muskan Kaushik said

प्रेरणाप्रद रचना बहुत अच्छे विषय को उठाया आपने

डॉ कृतिका सिंह said

सुंदर विषय वस्तु और उसे पर आपका सुंदर प्रस्तुतीकरण

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