एक आदमी कई दिन से भूख से जूद रहा था
क्या करूं क्या न करूं उसे कुछ नहीं सूझ रहा था
दूसरी ओर जंगल का एक बाघ का भी वही हाल था
वह भी कई कई दिन से भूख से ही बेहाल था
आदमी तीर कमान ले कर निकला
हिरण को मार खाने के लिए जंगल की ओर चला
हिरण तो मिला नहीं उसके सामने बाघ आया
यह देख कर वह आदमी बहुत घबराया
बाघ ने आदमी को घूरते हुए झपटने ही लगा
आदमी ने भी फट से उस पर तीर दागा
घायल हो कर भी बाघ ने पंजा मारा
उसी बखत आदमी मर गया बेचारा
बाद में बाघ भी बहुत छटपटाया
वह भी मर गया उसने भी आदमी को नहीं खाया
उसने भी आदमी को नहीं खाया......
----नेत्र प्रसाद गौतम

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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