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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

जब तक है ढंका इश्क़ - इश्क़ शायराना - वेदव्यास मिश्र

जब तक है ढंका इश्क़,
तभी तक इश्क़ है !!
ज़ाहिर जो हुआ खुलके,
है इश्क़ कहाँ रहता !!

जब तक है छुपा इश्क़,
तभी तक वो इश्क़ है !!
इरादे जो हुए ज़ाहिर,
चाहत है कहाँ रहता !!

नदिया के पानी का,
अंदाज़ का क्या कहना !!
सागर से मिल गये फिर,
नदिया है कहाँ रहता !!

सर को न झुकाना,
हर जगह पे ऐ दोस्त !!
झुकने जो लगे हर जगह,
फिर सर भी नहीं रहता !!

अपनों से मिलके जाना,
तो तौर-तरीक़ों से !!
बाहर में मिले कोई,
पर अपना नहीं रहता !!

शायराना मेहफ़िल वेदव्यास मिश्र की रंगीन कलम से..


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

सर को ना झुकाना हर जगह पर..... बिल्कुल सही

वेदव्यास मिश्र said

रीना कुमारी प्रजापत जी, थैंक्स अनलिमिटेड 🙏🙏

Jivani Sharma said

Aapke lekhan ka jabab nahi jab bhi pdhti hu surprise ho jati hu.

वेदव्यास मिश्र said

Jivani Garg जी, साहित्य के भावनाओं की आँच में जब शब्द ,भुट्टे के दाने जैसे फूट कर खिलने लगे तो साहित्य का आनन्द ही कुछ और है !! आपको मेरी रचना अच्छी लगी ..इसके लिए मैं कृतज्ञ हूँ मैम ..बड़ा ही प्यारा नाम है आपका..जीवनी..अर्थपूर्ण..और आपकी उपस्थिति ने मेरी रचना को और भी अर्थपूर्ण बना दिया है !! आभार सहृदय 🙏💜💜🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Pranam Acharya ji Lagta hai Rangeen Kalam m syahi kuch kam rah gayi...mujhey to aisa lag raha tha ye rachna khatm nahi hogi,,lekin shayad syahi khatm hojane ki vajah se Adarneey ko rukna pada hoga, khair filhaal isi se kam chala lunga - warna to manage tha padhte jao padhte jao padhte jao.... Pranam sweekar karein Adarneey Acharya ji 🙏🙏🙏

वेदव्यास मिश्र said

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र जी, सही पकड़े हैं भाई साहब 😍😍 स्याही खत्म हो गई थी..और लिखना था ज़रूर ..वैसे भी भाई साहब, हर दिन का ज्यादा चटपटा खाना नुकसान भी तो पहुँचा सकता है..स्वस्थ रहने के लिए घर का सादा खाना भी तो ज़रूरी है !! स्वास्थ्य में ताजगी और नमी बनी रहती है !! वैसे भी शेर जब दो कदम पीछे लेता है..इसका मतलब है ..शिकार दुरूस्त है !! वो क्या है ना..चाँद आज छत पर आया नहीं रात तक..आ जाये तो कोई नई बात बने !! बहुत जल्द हाईलाइटर से पेश होगी रचना अब..डर लग रहा है..कहीं सेंसरशिप की तलवार न लटके मेरे ऊपर लिखन्तु डाॅट काॅम की !! 😁😁

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