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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

किसको अपना ज़ख़्म दिखायें - गज़ल - वेदव्यास मिश्र

किसको अपना ज़ख़्म दिखायें,
बुत भरे हैं शहर में सारे !!
किसको अपना हाल सुनायें,
मतलबी हैं शहर में सारे  !!

पैसे को ही पूजते हैं सब,
पैसे से पहचान है सारी !!
स्टेटस से पूछ-परख है,
परमारथ से दूर हैं सारे !!

मानवता मर गई यहाँ पर ,
मानव कोई रहता नहीं अब !!
बाहर से चलते-फिरते पर,
अन्दर से बेदम है सारे !!

- वेदव्यास मिश्र की सेंसिटिव कलम से


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (10)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

सेंसिटिव कलम को हमारा सलाम👌👌👏🙏🙏

वेदव्यास मिश्र said

रीना कुमारी प्रजापत जी, सादर हरि स्मरण !! आभार 🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

स्टेटस से पूछ-परख है, परमारथ से दूर हैं सारे Uttam panktiyan acharya ji bahut khoob kaha 🙏🙏

Maahi Singh said

Bilkul thik kha..aaj kal log peso se bat krte hain insan se nahi. Isly pese kamao or status bhi. Brna kisi corner m khda kr degi dunia or bhul jayegi ki bha koi khda ha.

Prachi said

Kmaal kr dia aapki sensitive kalam ne.

वन्दना सूद said

True lines 🙏🙏

वेदव्यास मिश्र said

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' जी, आपकी उपस्थिति पाकर मैं धन्य हुआ भाई अनुज श्री अशोक योद्धा जी !! आज यहाँ आपको पाकर हमारे अन्दर जान आ गई !! नमन नतमस्तक ईश्वर को 💝💝🍵🍵💝🌈

वेदव्यास मिश्र said

Maahi Singh जी, ये हो चुका है भाई साहब रियल में !! बहुत खतरनाक है ये दुनिया.. बेरहम है !! अगर इसके असलियत रूप से बचना है तो कुछ भी करके दो पैसे कमा ले आदमी..वरना तकिया कलाम हाजिर है अगर हजार रूपया भी माँग लो कभी तो...पहले बताना था ना..अभी तो मेरे पास फूटी कौड़ी नहीं है .. ज़हर खाने के लिए पैसे नहीं है !! आभार भाई साहब सुन्दर विवेचनात्मक समीक्षा देने के लिए 🙏🍵🍵🙏

वेदव्यास मिश्र said

Prachi जी, आभार नमस्कार प्राची जी 🙏💝💝🙏

वेदव्यास मिश्र said

वन्दना सूद जी, हृदयंगम आभार नमन 🙏💝💝🙏

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