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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मुझको रास आ गई

तुम्हें सोच कर लिखूंँ तो आँखें भर जाती है
ना सोचूँ तो कलम मेरी चल नहीं पाती है

अजीब पशोपेश में रहती हूँ मैं आज-कल
भूलने की कोशिश तुम्हारे और क़रीब लाती है

तुमसे मिली बेवफ़ाई भी मुझको रास आ गई
उसी बेवफ़ाई पर "श्रेयसी"क़ुर्बान जाती है




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (9)

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Updesh Kumar Shakyawar said

वाह...बहुत संजीदा रचना

Supriya sahu said

बहुत खूबसूरत रचना मैम 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

वन्दना सूद said

क्या बात है बहुत खूब बेहतरीन रचना 👌👌

सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर रचना। हर रचना में किसी न किसी की प्रेरणा छिपी रहती है। यही आपकी कहानी है, यही हमारी कहानी है। सादर प्रणाम।👌🙏

श्रेयसी said

बहुत-बहुत आभार आपलोगों का 🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

दिल की उलझनों को इतनी सादगी से बयां करना, सचमुच क़ाबिल-ए-तारीफ़ है - आपको सादर प्रणाम 🙏🙏

श्रेयसी said

तारीफ़ आपकी है अशोक जी कि आप इतना अच्छा समझते हैं। बहुत-बहुत आभार आपको सादर प्रणाम 🙏🙏

सिद्धार्थ गोरखपुरी said

उम्दा

श्रेयसी said

धन्यवाद सर 🙏🙏

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