भाई, भाई नहीं कसाई बन गया,
रक्षाबंधन के दिन रक्षा धागा बंधवाकर अगले ही दिन रावण बन गया,
जो कभी प्यार भरी नजरों से देखा करते थे,
आज वही गंदी नजरों से देखा करते हैं ,
अगर हो जाए कुछ उस बहन को तो गंदी नजरों से देखने वाला भाई कैंडल उठाकर,
इंसाफ मांगने की जुर्रत करते हैं ,
जब भाई ही ऐसा करे तो बहन और क्या कर सकती है,
खुद ही घटिया हरकत कर दूसरों ज्ञान देता है।।
- सुप्रिया साहू