सवेरा आंखों से हुआ जब मैं सोया था,
उषा की पहली कुंजकली भी आ गई,
जब मैं सोया था,
जगाने भी आ रहे हैं काम के मारे,
जब मैं सोया था,
मैं बेखबर था,
जब मैं सोया था,
सब कुछ वैसे ही था,
जैसा था,
जब मैं सोया था,
मगर न जाने मैं जागा,
और मैं जागा,
रात हो गई,
अब वैसा कुछ नहीं था,
मेरे जागने पर अब सबकी नींदे सो रही है,
अब मेरे सोने पर मेरे बिस्तर भी सिमट चुके थे।।
-Lalit dadhich

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




