भ्रष्टाचारी आनंद ( हास्य व्यंग)
डॉ एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
गिरे लाल गिरे,
पीके टुन्न मिले।
आनंद ही आनंद , जहां।
सर्वेश्वर कहता ,अपने को यहां।
डंकी लाल डंक से मिलकर,
डंक मारता फिर रहा है, यहां -वहां।
अरे! ओ भ्रष्टाचारियों,
रिश्वत की बोरियां, लाद चल दिए।
कभी लखनऊ, कभी दिल्ली।
इनके पास है , एक सरकारी बिल्ली।
जो जांच के कागजों को, समझे चूहा।
जैसे ही हाथ लगा,मुंह के अंदर हुआ।
छानबीन करके, इस बिल्ली के गले में घंटी बंधवाओ।
करके दस्तावेज सुरक्षित, इसे जेल पहुंच जाओ

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




