जब भी होठों पे फूल खिलते हैं
उसकी आंखों में शूल मिलते हैं
वो खिलाड़ी बहुत है पहुंचा हुआ
हम भी दिल के उसूल लिखते हैं
चाहे जितना बिखरा खजाना हो
हम महज पैरों की धूल गिनते हैं
सच कहने की मिली देखो सजा
दास का दीवार मे गरुर चिनते हैं
दिल दिमाग़ जिस्म रूह सब रहन
सांस आनेजाने का सऊर रखते हैं ••