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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

रोया है फिर ज़ोर से चीखकर टूटा सा दिल - अशोक कुमार पचौरी

  1.   पागल दिल
    तुझ पर है फ़िदा
    माने ही ना

  2.   झरने लगे
    मेरे नेनो से मोती
    तेरी याद में

  3.   बहने लगा
    पुरवाई के जैसे
    चंचल मन

  4.   कहा था मैंने
    ना जमाने में वफ़ा
    माना ही नहीं

  5.   रोया है फिर
    ज़ोर से चीखकर
    टूटा सा दिल

  6.   बिखरा हूँ मैं
    आकर समेट लो
    कांच के जैसे

  7.   नयनों की जो
    तेरे साथ होती थी
    आँख मिचोली

  8.   जिन्दा तो हूँ
    देखोगे तो जानोगे
    लाश के जैसे

  9.   मैंने जो देखे
    सपने सुहाने थे
    आँखों में मेरी

  10.   बिन बादल
    बरखा बरसी थी
    आँखों से मेरी


    Originally Published at :

https://www.amarujala.com/kavya/haiku/ashok-pachaury-roya-hai-fir-zoro-se-cheekhkar-tuta-sa-dil


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

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वेदव्यास मिश्र said

वाह मेरे प्रभु दीनदयाल पचौरी जी..छा गये गुरू.. यानि हाइकु लिखने से आपकी हाइकु मेरे सामने से गुजरी !! बहुत ही मनभावन रंग-बिरंगी तितलियों के जैसी हैं आपकी हाइकु 👌👌 मुझे खुशी है कि आप जैसे उम्दा रचनाकार के संगत में हैं हम 💜💜

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

महोदय के मुख वचन सुनकर मंत्रमुग्ध होगया - आप जैसे प्रतिभाशाली व्यक्तित्व का साथ हो तो मेरे जैसा तिनके के सामान व्यक्ति भी प्रतिभाशाली ना होकर भी सांगत की वजह से प्रतिभावान लगता है - आपकी प्रतिक्रिया पाकर धन्य हो जाता हूँ - बहुत हर्ष है आपने मेरी बहुत सी रचनाये पढ़ी और उनका आकलन किया सौभग्य है श्रीमान मेरा चरण वंदन नमन!!

फ़िज़ा said

Aadaab Janab main likhun to.com ki jyadatar rachnaen padhati hun jismein Reena Kumari Prajapat ji AVN aap donon ki rachnaen mujhe Pasand Aati Hai Yahan comments mein Jab maine aapke comments padhe to sach mein lagta hai Jitna Aadhar bhav Yahan Ke rachnakaron mein hai kabile Tarif hai

कमलकांत घिरी said

वाह सर जी क्या खूब लिखा है दिल छू लिया इस आपकी रचना ने, बहुत खूब👌👏👏🙌

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

प्रणाम कांत सर आपकी समीक्षा ही पुरुष्कार है, इस समीक्षा रुपी पुरुष्कार के लिए ह्रदय से आभार

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