नर्सरी की मासूमियत से टैंथ की समझदारी तक का सफर,
याद है ना, कितना प्यारा था वो स्कूल का सफर |
जब इसकी शुरुआत की थी तब भी आँखों में आंसू थे,
और जब यह सफर समाप्त हुआ तब भी आंखें भर आई थी,
पर इस बीच चेहरे पे कई मुस्कुराहटें आई थी |
कितना प्यारा था ना वो स्कूल का सफर |
इसकी शुरुआत हुई थी ए फॉर एप्पल से और बोर्ड एग्जाम पर यह समाप्त हुआ,
इस सफर में ही सभी शिक्षकों ने हमें पढ़ाया,
और साथ ही व्यवहारिक और चारित्रिक गुण भी सिखाया |
कितना प्यारा था ना वो स्कूल का सफर |
समय का पता ही नहीं चला और यह सफर समाप्त भी हो गया,
पर जिंदगी के सफर में अपनी अहम भूमिका निभा गया,
कुछ भी कहो इस सफर में मज़ा बहुत आया |