आज ये जो महफ़िल तूने लगाई है,
लगता है इसमें उनकी रुसवाई है।
समझती थी मैं कि इस महफ़िल में तुम्हारी
सबसे ख़ास मैं ही हूॅं,
पर वो तो कोई और ही थी जिसके लिए
तूने आज ये महफ़िल सजाई है।
जब तक मैं जानी ना थी तेरे इरादे,
लग रहा था कि आज इस महफ़िल में
किसी की रुसवाई है।
पर जब देखा उसे साथ तेरे बनता तेरा
ख़ासम ख़ास,
तो पता चला यहाॅं किसी और की नहीं
फ़क़त मेरी ही रुसवाई है।
ये सब देखते हुए उनकी महफ़िल में
रुक ना पाए फिर हम,
और वहां से रुख़्सत हो लिए फिर हम।
खबर उन्हें हुई जब हमारी रवानगी की
वो आए महफ़िल छोड़ बीच रास्ते पूछने हमसे ये
कि यूं अचानक बिन बताए महफ़िल छोड़ने
की वजह क्या है?
हम उनसे कुछ कह ना पाए ना ही उनसे नज़रें
मिला पाए
और चल दिए फिर हम।
ग़लती इसमें उनकी नहीं थी,
प्यार ये एक तरफ़ा था।
खबर उन्हें ये थी ही नहीं
कि हम उन्हें चाहते हैं,
और हम समझे कि उन्हें सब पता था।
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐