कौन कहता है अब आप इस दुनियां में नहीं
मेरी आंँखों से कोई देखे तो सही
मुझे तो आप हर जगह नज़र आते हो पापा
मैं रहूं समंदर पार या रहूं कहीं
हमारे लिए बहुत कुछ न कर पाने की ख़लिश
जो आपकी आँखों में दिखा था मुझे कभी
दिल में इस कदर समा गया की
वो बेबस निगाहें मेरी नज़रों से जाता हीं नहीं
दुआओं में जो हाँथ आपने फेरा था सर पे
वो हाँथ मेरे सर पे अब भी है
ये एहसास सच्चा है झूठा नहीं
कौन कहता है अब आप इस दुनियांँ में नहीं