सुनो - सुनो निराश क्यों?
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सुनो - सुनो निराश क्योंं?
मंजिलें मिलेंगी ही !
मुश्किलें टलेंगी ही!
इस प्यार भरी जिंदगी से -
होते हो हताश क्यों?
सुनो - सुनों .....
हक़ तुमहारा विजय का!
स्वभाव तेरा अभय का!
प्रेम तेरा लक्ष्य से -
फिर तोड़ते हो आश क्यों?
सुनों - सुनों....
एकलव्य का तू नाम पढ़ !
खाइयों में मार्ग गढ़ !
स्वयं गुरु स्वयं का- तू
मन करे उदाश क्यों?
सुनों -सुनो ....
तू आज की आवाज हो!
माँ भारती का ताज है!
तू सवा शेर, शेर का-
परिस्थितियों का दास क्यों?
सुनो - सुनो निराश क्यों?
तू वेग निर्झरों सा कर !
तू बात अफसरों सा कर!
अडोल पर्वतों सा रह -
डोलायेगी उनचास क्यों?
सुनो - सुनों निराश क्यों?
कठिन - कठिन बात है !
काली - काली रात है!
तू रात का है चंद्रमा ,
उड़ेगा उपहास क्यों?
सुनो - सुनो निराश क्यों?
तू आकाश है संसार का!
तू जीत है,हर हार का!
तू आभास कर निज शक्तियां -
रखा है आखिर पास क्यों?
सुनो - सुनों निराश क्यों?
-"प्यासा"


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







