शायद तुम्हें याद हो
एक दिन जब पहली बार
हमारी आँखें मिली थीं,
वो क्षण, वो भावना,
शायद तुम भूल गए हो,
पर मेरे दिल में वो पल
आज भी जीवित है।
शायद ही कभी तुमने
रात की खामोशी में
मेरे नाम को पुकारा हो,
शायद ही तुम्हें इस बात का ख्याल हो
कि कोई आज भी
तेरे हर शब्द, तेरे हर स्पर्श की
आस में बसा हुआ है।
शायद तुम जान सको
हर सपने में तेरा चेहरा
मुस्कुराता है,
और हर दिन की शुरुआत
तेरी यादों से होती है,
शायद तुम समझ सको
दिल की गहराई में
तेरे बिना कैसी तड़प है।
शायद तुम महसूस कर सको
अकेलेपन का वो दर्द
जो हर पल संग रहता है,
और शायद तुम समझ सको
इस दिल की विरह कथा,
जो आज भी
तेरे इंतजार में लिखी जाती है।
शायद...