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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

इक़बाल सिंह “राशा” की कविता “जिस दिन मैं मिटा, तू उग आया”

जिस दिन मैंने
अपनी पहचान की मिट्टी
बहती नदी में बहा दी —
उस दिन
तेरे होने की महक
पहली बार
मेरी सांसों में लौटी।

मैंने पत्तों की सरसराहट से
अपना नाम हटा दिया,
तो हवा ने तेरा नाम
हर शाख पर गुनगुनाया।

जिस दिन मैंने
अपने पैरों के निशान मिटा दिए,
बारिश ने आकर
तेरे क़दमों की आहट
मेरी छाती पर उकेर दी।

मैंने सूरज को आँखें मूँदकर नहीं देखा,
पर जिस दिन
मैंने अपनी दृष्टि खो दी —
उस दिन
तू उग आया मेरे भीतर
एक धीमी, गर्म रौशनी बनकर।

जब मैंने
अपने ही शब्दों को
चुप्पियों में दबा दिया —
तो चाँदनी
तेरे मौन की छाँह बन गई
और मेरे कमरे में उतर आई।

जिस दिन मैंने
आईने से मुँह मोड़ लिया —
उस दिन
झील की थरथराहट में
तेरा चेहरा
पहली बार साफ़ दिखा।

मैंने अपने स्वर खोए
तो पहाड़ों की गूंज ने
तेरी आवाज़ पहन ली।

मैंने अपना पता जलाया —
तो राख में
तेरी साँस की नमी मिली।

जिस दिन मैं
पूरी तरह
खुद से खाली हो गया,
तू —
हर जगह भर गया।

-इक़बाल सिंह “राशा”
मनिफिट, जमशेदपुर, झारखण्ड




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

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शिवचरण दास said

वाह वाह बहुत खूब राशा जी. .. जब मैं था तब हरि नहीं. .वही इक़बाल

वन्दना सूद said

अरे sir क्या कहने आप के 🙏🙏पढ़कर आपकी पंक्तियाँ ऐसा लगा कि हम भी आपके साथ यह सब feel कर रहे थे

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

वाह! वाह! क्या कहने आपके! कौन कह सकता है ऐसे कलाम? निहायत ही उम्दा! क़ाबिल-ए-तारीफ़! 👌👌👏👏

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