New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

इंतज़ार की हद

आज मैंने पल-पल इंतज़ार किया अपनों का,
जो मेरे इंतज़ार की हद थी,
आज फिर आंसुओं की धारा बह आई आंखों से,
जो मेरे प्यार की हद थी,
आज फिर सोचने को मजबूर हुआ मैं,
क्या कोई अपना है मेरा,
आज फिर मैं उस जमाने को याद करके बैठा था,
जिस जमाने में मेरे प्यार की हद थी,

आज पैसा ही ईमान हो गया दुनिया का,
क्या प्यार बिकने लगा पैसो से,
आज उस बिकने वाले प्यार की भी हद थी,
आज उस बिकने वाले प्यार की भी हद थी,

आज फिर मेरे प्यार के रिश्ते भी टूटने लगे हैं,
आज फिर उस जमाने के एतबार की भी हद थी,
एतबार की भी हद थी,

आज फिर सोचता हूं कौन अपना और कौन पराया है मेरा,
आज फ़िर उन अपनों से पराये वाले प्यार की भी हद थी,
पराये वाले प्यार की भी हद थी,
आज फिर जिस से उम्मीद ना थी उसने थामा हाथ मेरा,
आज फ़िर उश रब से मेरे इम्तिहान की भी हद थी,
मेरे इम्तिहान की भी हद थी,

आज मैंने पल-पल इंतज़ार किया अपनों का,
जो मेरे इंतज़ार की हद थी,
जो मेरे इंतज़ार की हद थी,
कवि .....राजू वर्मा





यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

डॉ कृतिका सिंह said

Bahut Sundar lines

राजू वर्मा replied

Tx ji

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

इंतज़ार की तो हद ही होती है - वाकई आपने इंतज़ार करवाया इस सुन्दर रचना के लिए

राजू वर्मा replied

धन्यवद भैया

Suman Yadav said

Heart touching lines 👏👏

राजू वर्मा replied

Tx

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन