मेरी कश्ती का
सहारा बन जाना तुम
काबिल तो नहीं
साहिल बन जाना तुम
कष्टों में फसी मंज़िल
राही बन जाना तुम
थाम के हाथो को
सहारा बन जाना तुम
चल पड़े गुमान में
गिराकर उठा लेना तुम
कोई नही तेरे सिवा
तुझ में ही समा लेना तुम
बंदगी में शामिल
भावो को सजा देना तुम
न कोई गिला,न खफा
चरणों मे सदा रखना तुम
आख़री सांस पुकारें तुझे
पास रहना तुम
आस के मोती की माला में
दर्शन देना तुम
न कोई चाहत बस
मुक्ति धाम दे जाना तुम
जीगर के करीब रख
आशिक़ बना देना तुम