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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

हम कयामत लाना नहीं चाहते

हम कयामत लाना नहीं चाहते
इसीलिए सब्र किए हुए हैं
और वो कमबख़्त समझती है कि
हम कुछ कर नहीं सकते। (2)

अब वो क्या जाने कि
जो तूफ़ान खड़ा किया उसने हमारे दिल में,
हम उसे कैसे दबाए हुए हैं,
बस वो तो यही सोच उड़ रही है कि
हम कुछ कर नहीं सकते।।

वो हम पर ज़ुल्म ढहाए जा रही है
और हम चुप बैठे हुए हैं। (2)

अभी भी उसकी भलाई चाहते हैं
तभी तो कयामत नहीं लाने की सोच लिए हुए हैं ।।

कयामत जो ले आए हम तो फिर ये
कयामत से कयामत तक का सफ़र होगा (2)
और इस सफ़र को तय करना
उसके लिए मुमकिन ना होगा।

बस इसी इंतज़ार में रुके हुए हैं
कि शायद वो कयामत से पहले सुधर जाए
वरना कयामत के संग जीना
उसके लिए किसी सज़ा से कम ना होगा।।

कयामत और मेरे बीच का फासला ज्यादा नहीं
बस कयामत और मेरे बीच चाहत की कमी है (2)
कयामत इस दुनियां में लाना चाहते नहीं हम
वरना किसी की मजाल नहीं कि हमें दर्द दे सके।

बस इसीलिए रुके हैं
क्योंकि कयामत से परे रहना चाहते हैं हम,
कयामत को लाना नहीं चाहते हम।।
"रीना कुमारी प्रजापत"








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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Lekhram Yadav said

सुप्रभात मेरी प्यारी बहना। उत्कृष्ट रचना पेश करने में आपका कोई जबाब नहीं और मेरे पास कोई शब्द नहीं आपकी तारीफ करने के लिए। बस कयामत मत लाना क्योंकि पहले ही हमारे देश का दक्षिणी और पूर्वी क्षेत्र बाढ़ की चपेट में है और उत्तर तथा मध्य भारत गर्मी और सूखे से मर रहे हैं। रहम करो अपने देशवासियों पर।

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत आभार आपका 🙏

ताज मोहम्मद said

बहुत ही उम्दा लिखा। अति सुन्दर प्रस्तुति। कयामत ही ला दी आपने रचना।

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत शुक्रिया ताज साहब

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

हम कयामत लाना नहीं चाहते इसीलिए सब्र किए हुए हैं और वो कमबख़्त समझती है कि हम कुछ कर नहीं सकते Aagaj hi bata deta hai rachna ka ant jesa hoga bahut uttam Reena Mam, Bahut kamaal ki lagi aapki rachna 2-3 bar padh chuka hu

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत आभार आपका

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